Posts

Showing posts from April, 2023

प्रीति...

 भंवरा अकेला अपने ही आप से परेशान,  अपनी ही आवाज से बज रहे थे उसके कान,  गुनगुन गुनगुन एकांत में करता रहता,  डूबा रहता अकेले में सुबह-शाम  भंवरे की प्यास क्या , उसकी खोज क्या थी ? वही खोज रहा था वो जिसे कहते हैं हम प्रीति ... उसकी खोज इतनी गहरी थी,  कि परमात्मा को भी माननी ही थी एक पल्लवित ओंस से भरी सुबह थी,  सुगंधित दसो दिशा झूमती हवा थी...  कोमल कली कमल की होने लगी जवां थी , उसकी मोहकता और सुगंध फैली हर जगह थी...  मोहपाश में बंधा भंवरा खुद को रोक ना सका , उन दोनों में भिन्नता इतनी, फिर भी वह संजोग ना चूका,  अमृत रस कमल का भंवरे के मन में मोह सा जगा, कमल उसकी ही प्रतीक्षा में पहले ही सो ना सका .... वह मिलन का क्षण भी अद्भुत था , भंवरा थर थर, कमल आनंदित था, सदियां बीत गई हो मानो कुछ पल में , प्रेम रस में भवरा ऐसे लीन था...  यह प्रेम संबंध भंवरे के लिए इबादत का साधन था, मगर वह बेचारा कमलों की फितरत से अनजान था ... रात होते ही, अपनी प्रेम की पंखुड़ियां समेट लेते हैं कमल, उनके प्रेम में जो भवरे आ फसे उन्हें लपेट लेते हैं कमल... अपने अ...

कविता काय असते....

 कविता काय असते ...?  भावना अनावर झाल्या की अश्रू येतात, आहे असं ऐकून... तशीच कविता अवतरते भावनांच्या दरीतून ... उंच उंच उडवते सोडवते ती मनाच्या बंधनातून ... तिला काही कळतंय,  भाषा-व्याकरण-सभ्यता ... तिला काय कळतंय,  धर्म-विज्ञान-सत्यता ... तिला काय कळतंय,  रूढी-परंपरा-व्यवस्था ... विद्रोही स्वभावाची ती हे सगळं सामावते कविता...  त ला त , प ला प जोडून बनते का कधी पद्य ... यमक जुळले तरी , अनुपस्थित असते कवितेचे मद्य...  वाचली की वाचणाऱ्याचे पाऊल  इकडे तिकडे पडली पाहिजेत... रडणारे हसले पाहिजेत, हसणारे रडले पाहिजेत...  कवीचे नाव देता कवितेला  काव्य तिचे संपते , मृत पावते... कविता ना सूचते , ना बनते  ती तर आकाशातून अवतरते .... जसे अवतरले वेद,पुराण,बायबल,कुराण  कवीच्या अनुपस्थितीत कविताच कवी बनते.....                   ....... गणेश दरोडे