अनहद में विश्राम..।
अनहद में विश्राम। पंछी बनाए घोसला, घोसला ही उसकी दुनिया. भूल बैठा अपने को , भूल बैठा अपनी शक्तियां असीम आकाश जो उसका होता, वह सीमा में बंध गया। घोंसले की उड़ानों से कोई दुश्मनी तो नही, घोंसले तो उड़ानों को पूर्वतयारी है, शरीर की सीमा है, थकता है, घोंसले चाहिए क्योंकि उसे आराम तो जरूरी है। मगर याद रखना पंछियों, घोसला आज नहीं कल छोड़ना है, घोंसला ही नही शरीर की सीमाओं को भी तोड़ना है, असीम आकाश में असीम संभावनाओं के साथ उड़ना है। तोड़ दो अपनी जंजीरों को जला दो शास्त्र , धर्म पुस्तक जो तुम्हे बंधे रखते है, तोड़ दो सभी दिवारे जो यम~नियम बनाए रखते है, सुली पर चढ़ा दो उन्हें जो किसी मार्ग को सही गलत बताते है। मार्ग अनंत है, क्युकी मंजिल का स्वभाव ही अनंत है, निकलो तो घोंसले से अपने अनंत में उडान भरो, कहे दरिया सुनो भाई साधो अनहद में विश्राम करो....... ....ganesh darode