रोने की कला...
थमते थमते थमेंगे आंसू , हंसना थोड़ी है रोना है,
हसना तो ऊपर ऊपर है , ऊपरी घटना है |
रोना अंदर तक घटता है ,
अंदर से बाहर आंसू बनकर टपकता है |
हंसना शुभ है रोना अशुभ किसने कहा ,
सुख शुभ है , दुख अशुभ , किसने कहा,
रोने के बाद जो परमानंद बरसता है
उसका मजा हसने मे कहा |
जो गालों की, लबो की हलचल मांगते हो खुदा से ,
दिन मांगोगे रात चली आयेगी रात - दिन हो जुदा कैसे ,
सुख के भी आसू होते है ,आते है तो बरसते है मधुर सुधा जैसे ,
जो क्षण तुम्हे रुलाते है किमती है , विपदा नही बस लगते है विपदा जैसे |
.....ganesh
Comments
Post a Comment