अंतः अस्ती प्रारंभ |

 अंतः अस्ती प्रारंभ |


     सत्य क्या है पता नहीं, पता नहीं क्या है असत्य,

 व्यक्त क्या है पता नहीं पता नहीं क्या है अव्यक्त


 पदार्थ कभी बने ऊर्जा कभी ऊर्जा बने पदार्थ, 

अर्थ क्या है इस बात का नाकाम सारे तर्क वितर्क ,


तो क्या शून्य है यह मध्य ,जब आरंभ ही है अंत|

 मृत पद्य् से कभी निकलता है गद्य यह् जिवंत

तो क्या अंत ही सत्य है जो ना छोड़े संत महंत


 ग्रीष्म ही तो संकेत है जो आने वाला वसंत, 

अस्तित्व का क्या गंतव्य है क्यों है यह ज्वलंत|


 क्या है यह प्रपंच हर कन जैसे जीवंत धार,

 समय का यह मंच यहा हर् क्षण चमत्कार

 अस्तित्व का यह छंद यहा प्रकाश ही है अंधकार ,

यही है सत्य अस्तित्व का ना तो कोई मूर्तिकार ,

यहा तो नृत्य है जहां एक ही है नृत्य और नृत्यकार |


        ...Ganesh Darode

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