छोडो भ्रम जाला|
यहां पत्थर दूध पीता है,
वहां कोई भूखे पेट सोता है|
यहां मिट्टी - पत्थर फूलों - फलो से सजाए जाते हैं ,
वहां हड्डी - पंजर मानो एक हुए जाते हैं |
यहां पत्थर को पंचामृत से नहलाया जाता है ,
वहां किसी के लाडले को भूखे पेट सुलाया जाता है |
यहा ब्राह्मणो को पंचभोग् करा कर पापों को धुलाया जाता है
वहां रोटीचोर बच्चे का बेरहमी से हाथ जलाया जाता है |
मंदिर मस्जिद के नाम पर लाखों करोड़ों गवाया जाता है,
हिंदू मुस्लिम के नाम पर मन्द् भेडो को लडवाया जाता है |
शिवजी कभी पीपल के पेड़ के नीचे से अवतरित होते हैं
तो कभी कुछ कागज आसमान से अवतरित होते हैं |
कहे कबीर छोड़ो भ्रम जाला , यह सब मूर्खता है ,
सच का सामना करो, सत्य भगवान , सत्य हि तो खुदा है
तोडे अपनी मान्यताओं को जानो जो जानने आए हो ,
पहचानो खुद को उठो क्या सोते हो , तुम जागने आए हो|
तुम ही हो शिव ,तुम ही हो शिवतत्व ,
तुम ही हो परमज्ञान , अद्वैत , शून्यत्व.
~ 𝚐𝚊𝚗𝚎𝚜𝚑 𝚍𝚊𝚛𝚘𝚍𝚎
👍👍✌
ReplyDelete