छोडो भ्रम जाला|
यहां पत्थर दूध पीता है, वहां कोई भूखे पेट सोता है| यहां मिट्टी - पत्थर फूलों - फलो से सजाए जाते हैं , वहां हड्डी - पंजर मानो एक हुए जाते हैं | यहां पत्थर को पंचामृत से नहलाया जाता है , वहां किसी के लाडले को भूखे पेट सुलाया जाता है | यहा ब्राह्मणो को पंचभोग् करा कर पापों को धुलाया जाता है वहां रोटीचोर बच्चे का बेरहमी से हाथ जलाया जाता है | मंदिर मस्जिद के नाम पर लाखों करोड़ों गवाया जाता है, हिंदू मुस्लिम के नाम पर मन्द् भेडो को लडवाया जाता है | शिवजी कभी पीपल के पेड़ के नीचे से अवतरित होते हैं तो कभी कुछ कागज आसमान से अवतरित होते हैं | कहे कबीर छोड़ो भ्रम जाला , यह सब मूर्खता है , सच का सामना करो, सत्य भगवान , सत्य हि तो खुदा है तोडे अपनी मान्यताओं को जानो जो जानने आए हो , पहचानो खुद को उठो क्या सोते हो , तुम जागने आए हो| तुम ही हो शिव ,तुम ही हो शिवतत्व , तुम ही हो परमज्ञान , अद्वैत , शून्यत्व. ~ 𝚐𝚊𝚗𝚎𝚜𝚑 𝚍𝚊𝚛𝚘𝚍𝚎