मयखाने की मस्ती।

 मैंने ढूंढा है हर एक आवाज में प्यार मेरे लिए ,

मजा तो तब आया जब तेरी खामोशी में प्यार पा गए।


मजधार में थी मेरी नाव, हमकिनार होने को बेकरार थी मेरी नाव,

 न जाने क्या हुआ तुझे सरफिरे डूबा दी तुमने मुझ समेत पूरी नाव।


 तेरे किसी फैसले को ना नहीं कहूं यही मेरी तेरे से आशिकी है,

 तू कहीं डूबा दे मैं खुशी से डूब जाता हूं कौन कहता है यह इश्क नहीं यह इश्क ही है। 


ये मेरे प्रियतम, हमसफर, हमनशि, क्यों चुप है तू आज, कुछ तो बोल,

 जानता हूं शर्मिंदा है चाहे झूटा हो सच लेकिन सच तो बोल ।


अनंत की याद दिला कर मुझे शून्य तो कर गया 

चलो अनंत की बात बता कर कुछ पुन्य तो कर दिया


 पता नहीं मुझे आंखें देकर तू कब ओझल हो गया आंखों से ,

देख लेते तुझे एक बार कमबख्त होती जो आंखें पहले से....।

        ~ ganesh darode

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