अस्तित्वप्रेमी

 कसूर नहीं है चांद सितारों का ,

फितूर तुम्हारा नीचे देख कर चलना है ।

कभी नजरें ऊपर तो उठाओ

 छुपे नहीं कहीं चांद सितारे 

बस नजरे उठाना है।


 कसूर नहीं है हीरे जवारातो का 

फितूर तुम्हारा कंकड़ पत्थर पकड़ना है 

कभी आंखें खोल कर देख तो लो,

 कमी नहीं है हीरे जवारतो की

 तुम्हे बस आंखों का इलाज करवाना है।


 तुम ना जाने किस दुनिया की सरहद हो चुके हो,

 ढूंढना खुदा को चाहते हो और खुद नदारद हो चुके हो ।


आओ भी कभी अपने घर 

अपने घर में मेहमान तो बनो ,

ढूंढते ढूंढते अपना घर, कभी परेशान तो बनो।


ना जाने किस प्रेम का झासा देकर फसा रहा है मुझे,

खुद ही हाथो में मेरे रखकर अंगारे बेशरमो की तरह हसा रहा है मुझे।


गिराए तो गिराए कितने हम आंसू , 

याद में तेरी , मुलाकात में तेरी

पता नही दुख यह विरह का है,

या प्रेम की बरसात है तेरी।


दीवाने है हम सरफिरे और पागल भी ,तूने अपना नशा जो पिलाया है,

दिया था झासा खुद को जानने का ,खुदा ने मुझको मिटाकर खुदको खुदा बनाया है।

        ~ ganesh darode

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