छुपा है कुछ तो कही ,
छुपा है कुछ तो कही।
छुपा है कुछ तो कही,
यही वही हर जगह वही l
ऐसी जगह नही जहा वह छुपा नहि l
छुपा है कुछ तो कही ,
क्या राज है पता नही
चलती हुई सासो का l
क्या राज है पता नही
दौडती हुई नसो का l
क्या राज है पता नही
जिंदगी के इन पडते हुए पांसो काl
छुपा है कुछ तो कही ,
यही वही हर जगाह वही ,
ऐसी जगह नही जहा वह छूपा नहीl
ना जाणे कैसी माया है, न जाने कैसे शक्ती l
पल मे आना पल मे जाना, पल मे मिट जाती हस्ती l
पल मे मुस्कुराना ,पल मे रोना
पल में बिखर जाती बस्तीl
पल मे घृणा ,पल मे प्यार ,
पल मे उतर जाती मस्ती l
छुपा है कुछ तो कही ,
यही वही हर जगह वही l
अत्यंत सूक्ष्म अत्यंत बारीक, ओर अनंत भी वही l
अनंत ध्वनी, अनंत नाद और अनहद भी वहीl
वही काम, वही क्रोध वही लोभ, ओर वैराग्य भी वहीl
वही छल कपट घृणा ,
ओर सनातन धर्म भी वही l
वही कर्ता वही भोक्ता वही बोलता
और सूनता भी वही l
केवल्य का खेल है,
मानवी अकल के परे
निराकार का खेल है ,
किसी शकल के परेl
छुपा है कुछ तो कही,
यही वही हर जगह वही l
ऐसी जगह नही जहा वह छुपा नहि l
~ganesh darode
I like it जान
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