Kabir fraganance
सांसे से अंदर आ रही है,
बाहर भी तो जा रही है l
देखो तुम ध्यान से जरा ,
प्राण कहासे ला रही है l
कोण मुल्ख से आये तुम ,
कोण देश को जाओगे l
कौन भेस से आये तुम,
कोन भेस् को पाओगे l
अहम ब्रह्मास्मि कह कर तुम
ध्यान लगावत कैसे हो ,
बाहर गंदा भितर गंदा
ध्यान लावत कैसे हो।
खुद ही खुदको ना पहचाने
ग्यान बतावत कैसे हो ,
खुदही खुदको ना जाने
खुदा को जान पावत कैसे हो l
कहा से आये ,कहा जाओगे?
जरा होश तो संभालो,
मन के जाल मे फस कर ऐसे
अमृत को ना टालो l
जरा देखो तो खुद को,
क्या हो तुम ? कौन हो तुम ?
कहा से हो तुम ? कैसे हो तुम ? क्यू हो तुम ?
जिनकी चींता मे तू जलता
वही तेरी चिता जलाते है,
जिनके लिए रक्त बहाया जलसम
जल मे वही बहाते है l
जिनके लिए तुमने सुख ना छुआ,
छुने के बाद तुम्हे हात धुलाते हैl
किस माया मे पड गये तुम,
किस उलझन मे फस गये ?
जरा आंख तो खोलो, होश संभालो
किस देश मे सो गये।
~ ganesh darode
Khup chan 👍👍
ReplyDeleteNice and to be proud
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